सर्पणि वृक चाल की जगह सीधी सरल चाल में चलना ही आर्जव धर्म है। आईए इसकी शिक्षा दीक्षा ले। टेढ़ापन, तेरापन नही। सीधापन अपनापन है। ऋजुभावी आर्जव
सरलता सरसता या सीधापन आर्जव धर्म है।
पर्युषण का तीसरा दिवस हमे सीधा रास्ता दिखाता है। आत्मा का मूल स्वभाव सीधा चलने वाला है, किंतु इस आत्मा को धारण करने वाला मनुष्य सर्प के समान चलता है जिसकी हर चाल छल से भरी होती है। कुछ लोग ऊपर से दयालु, धार्मिक एवं करुणामयी दिखायी देते है किंतु भीतर से सर्प की विष ग्रंथी धारण किए होते है। धर्म मे उच्च नीच, राग द्वेष, तेरा मेरा पक्ष विपक्ष का कोई स्थान नही है आर्जव धर्म इस बात को आपकी जीवनशैली में सम्मलित करने को कहता है जिसके जीवन में सीधापन, सरलता, एवम ऋजुता होती है वह मोक्ष रूपी अनन्त सुख की और अग्रसर होता है परंतु जीवन शैली में सरलता लाना इतना आसान नही है। इसके लिए सर्वप्रथम अंदर की विषग्रंथी रूप छल कपटता को दूर करना होगा। फ़िर यह ऋजुता, सरलता, निरन्तर आंतरिक अभ्यास से निश्चय और व्यवहार दोनो मे आर्जव स्वरूप सभी को दिखाई औऱ महसूस होगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी