नारायण कृष्ण ने जो जीवन जिया वह सचमुच मिसाल है पुलक सागर जी

 बांसवाड़ा -आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने कहा जितने भी महापुरुष इस धरती आए खुशिया मनायी गई। दीपक जलाए गए, लेकिन मगर नारायण कृष्ण के जन्म की कोई खुशियां नही मनाई गई, कोई उल्लास नही मनाया गया , कैसा जीवन था, कितना संघर्ष मय जीवन था।आचार्य ने कहा नारायण कृष्ण महान आत्मा हुए है जिन्होंने इस धरती पर भारत की दो परम्पराए एक वैदिक परम्परा वह श्रमण परम्परा का गठबंधन कराया।यह दोनों परम्परा सनातन है। दोनो साथ साथ चला करती है, रेल की पटरी की तरह यह समान्तर चल रही है। इस भारत देश धरती मे यदि मौलिक धर्म है तो श्रमण धर्म और वेद धर्म इस धरती पर है न कि बाहर से आए है यह भारत के ही मूलभूत धर्म है। इन्होंने सारे जगत को अध्यात्म का सन्देश प्रदान किया। 
  नारायण कृष्ण उस कुल में जन्म लेते हैं जिस कुल में 22 वे तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ जन्म लेते है। आचार्य ने कहा अद्भुत जीवन है कृष्ण का जिनका ऐसा संपूर्ण जीवन है कोई महात्मा नही जी पाया। इस धरती पर नारायण कृष्ण ने जो जीवन जिया जो मिसाल है।
    संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

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