प्रेम के ढाई अक्षर पढ़ो गणांचार्य विराग सागर जी

भिण्ड-परम् पूज्य राष्ट्रसंत गणाचार्य १०८विराग सागर जी महाराज ने परमात्म प्रकाश के माध्यम से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा पंडित बनना अलग तथा जीवन में उतारना अलग है पर को उपदेश देने वाले दुनिया में बहुत हैं संत जुबान से नहीं जीवन में उतार कर बोलते हैं पंडित जुबान से बोलते हैं पर जीवन में नहीं उतारते पंडिताई अहंकार का स्थान बन सकती है आचरण निरंहकार ही रहता है जो कुछ भी नहीं जानता वह 1 दिन बहुत कुछ जान सकता है जागे को जगाना कठिन है सोने वाले को जगाना आसान है दीपक हाथ में होकर गड्ढे में गिरना आश्चर्य है पंडित निर्गत मुनि है जो प्रदर्शन से दूर स्वयं में उतर कर दिखाते हैं दूसरों पर उंगली उठाना मूर्खता है प्रेम का ढाई अक्षर पड़े वह पंडित है पढ़ने में रुचि रखो तो अज्ञान टिके गा नहीं उत्साह प्रयास रहेगा तो सफलता मिलेगी उपयोग 10 जगह ना रहे तो शिक्षा रंग लाएगी माता पिता ने जन्म दिए पर समाज व देश में पैड स्वयं जमाना पड़ेगा पूछ बढ़ेगी याद करने का समय व्यर्थ बकवास है मत खोना  अनुकूलता पाकर भी शिक्षा ग्रहण की तो मूर्ख नहीं महामूर्ख हो विद्वान समता रखते हैं कोशिश करते रहना पर हारना नहीं विद्यार्थी जीवन में इन सूत्रों को अवश्य धारण करें और देश समाज का नाम उठाएं
10 लक्षण महापर्व के अवसर पर परम पूज्य आचार्य श्री श्री विराग सागर जी महाराज के सानिध्य में 10 दिन से श्रावक साधना शिविर भिंड श्री दिगंबर जैन चैत्यालय मंदिर में आयोजित किया गया है 10 दिन तक ध्यान तत्वार्थ सूत्र कर्मविज्ञान इत्यादि विषयों पर गहन चिंतन प्रवचन होंगे 10 लक्षण महापर्व जीवन को धर्म से सजाएं पर्व पर गर्व रखें यह जैनों का ही नहीं जन-जन का पर्व है उक्त जानकारी राज कुमार अजमेरा, नवीन गंगवाल कोडरमा ने दी और कहा कि आचार्य श्री के प्रतिदिन प्रवचन यूट्यूब चैनल विराग वाणी लाइव पर सीधा प्रसारण रहेगा
      संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

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