राठखेड़ा ने भाजपा को स्वीकारा, लेकिन भाजपाईयों ने नहीं


पोहरी: दो दशक तक सिंधियाई रहे सुरेश राठखेड़ा 2018 में कांग्रेस का झंडा बुलंद कर भोपाल तो पहुँचे लेकिन सत्ता उलट फेर में सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए, सुरेश ने गले में न केवल भाजपा का दुपट्टा बाँध लिया बल्कि आत्मा से भाजपा की विचारधारा को स्वीकार लिया है लेकिन अभी तक देखने में आया है कि भाजपाईयों ने सुरेश को स्वीकारा नहीं है यही कारण है कि क्षेत्र के तमाम बड़े नेता सुरेश राठखेड़ा के साथ नहीं देखे गए हैं फिर चाहे पूर्व विधायक रहे हो या जनसेवा से राजनेता बनी नेत्री, इसके अलावा तमाम ऐसे नए चेहरे भी हैं जो पोहरी में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे थे,  2018 में भाजपा उम्मीदवार रहे प्रहलाद भारती  को अपने कांग्रेसी प्रतिद्वंदी से संघर्ष करना पड़ा था अब उन्हें राजी अथवा गैरराजी उनका समर्थन करना पड़ेगा।पोहरी विधानसभा क्षेत्र में विधायक प्रहलाद भारती दो बार विजयी हुए और तीसरी बार भी 2018 में उन्हें टिकट मिला था। उनके अलावा इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा में दावेदारों की कमी नहीं थी। पोहरी से टिकट की शिवपुरी के भाजपाई भी नजरें गड़ाए रहते थे।  लेकिन अब कांग्रेस से आए सुरेश राठखेड़ा को टिकट मिलने से अन्य दावेदार हतप्रभ हैं। सुरेश राठखेड़ा भले ही भाजपा में शामिल हो गए हैं। लेकिन भाजपाईयों ने उन्हें स्वीकार कर लिया है यह कहीं से कहीं तक नजर नहीं आ रहा। पोहरी में  इसलिए सिंधिया जी को अपने समर्थकों को सुरेश राठखेड़ा के पक्ष में काम करने के लिए कहना पड़ा। और भाजपाईयों को सुरेश राठखेड़ा के पक्ष में करने के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा शिवपुरी में कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करने आए थे I
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