बांसवाड़ा -संसारी प्राणी जन्म के साथ एक ज्योति लेकर आता है वह यदि चाहे तो इस ज्योति को सम्यक पुरुषार्थ के माध्यम से शाश्वत बना सकता है। यह उदगार आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने व्यक्त किए उन्होंने कहा जन्म से ही प्राणी में शक्ति होती है, जिसका उपयोग कर वह जन्म मरण से ऊपर उठ सकता है। परमात्मा बन सकता है। इस शक्ति का दुरूपयोग संसार भ्रमण का कारण बन जाता है।। प्राणी अनन्त काल तक जीवन मृत्यु के चक्र से मुक्त नही हो पाता। मृत्यु मात्र एक शब्द है जिससे डरने की आवश्यकता नही है। यह शब्दो का भंड़ार और सवर्णों का योग ही होता है।
उन्होंने कहा जन्म और मरण का बोध मानव का होता है तब आपका प्रश्न हो सकता है कि पेड़ पौधे, पशु पक्षियो को इसका बोध क्यो नही होता। मानव एक विचारशील प्राणी है, वह इतना शक्तिशाली है कि मरण से बचने का उपाय कर सकता है। लेकिन पेड़ पौधों, और पशुओं मे शक्ति नही लेकिन है। पशुओ के मरने का बोध भी मानव को हो जाता है,लेकिन मानव के मरने का बोध पशुओ को नही होता। इसीलिए मैं यह कह रहा हु कि मानव का मरण बोधात्मक है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी