ज्ञानी वही है जो अपने अंदर छिपे हुए परमात्मा को प्रकट करने का प्रयास करता है निर्भय सागर जी

  दमोह -आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने कहा हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी है हिंदी भाषा हमारे हिन्द देश की आन है। हिंदी संस्क्रत की लाडली बेटी है। हिंदी हमारा मान, सम्मान, अभिमान है। हिंदी भाषा हिन्दुस्तान के माथे की बिंदी है। हिंदी भाषा सबसे सुंदर, मीठी, सरल और सहज भाषा है। हिंदी हम सबकी एकता की अनुपम परंपरा है। सब जन को एक सूत्र मे पिरोने के लिए हिंदी भाषा पूरे राष्ट्र में बोली जाना चाहिए और पढाई जाना  चाहिए। 
   उन्होंने कहा जिस प्रकार पत्थर में सोना, दूध मे घी,तिल में तेल और काष्ट में अग्नि छुपी हुई है उसी प्रकार इस देह में परमात्मा छुपा हुआ होता है। ज्ञानी वही है जो अपने अंदर छुपे हुए परमात्मा को प्रकट करने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा जिसने अपने अंदर पाप छुपा रखा होगा वह परमात्मा को प्रकट नही कर सकता।
     जब तक आदमी के अंदर पाप है तब तक परमात्मा उदघाटित नही हो सकता और जब परमात्मा प्रकट हो जाता है तब अंदर आत्मा मे पाप नही रह पाता है। उन्होंने कहा सोच को बदलो, हौसले बुलंद बनाओ, मन और संकल्प शक्ति को मजबूत बनाओ। अच्छे विचारों की हत्या मत करो तभी मानव जीवन सार्थक होगा।
    संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.