बांसवाड़ा -आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने कहा की पुण्य पाप से मुक्त कराने वाला तत्व है,जीवन को हल्का बनाने वाला तत्व है, जीवन को महका देने वाला तत्व है। जबकि पाप बोझिल करने वाला, बांधने वाला, परतंत्र बनाने वाला तत्व है। जब आप कोई घिनोना कार्य करते है या झूठ बोलते है,तब मन ही मन बुरा लगता है। इस बुरा लगने का एक मात्र कारण आपने अशुभ परिणामो को आपने आमंत्रित कर लिया। इसीलिए आप उदास है। जब आप कोई सुकृत्य करते है, दान देते है, पूजा भक्ति करते है और उपकार करने लगते है तब आपके अंदर खुशी की वर्षा होने लगती है।उसी को तो पुण्य कहते है। जीवन को आनंद की अनन्त यात्रा पर ले जाए जो जीवन के महोत्सव मे शामिल हो जाए या भगवान के चरणो में ले जाकर खड़ा कर दे बस वही पुण्य है।
आचार्य ने कहा यदि आप दुसरो का भला सोचने लग जाए तो आप पाएंगे मस्तिष्क से पाप विचार विदा हो गए। पाप रुक गया। यदि तुम उनको बन्द करना चाहते हो तो कभी पाप का विचार मत लाओ।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
