कोरोना के वक़्त आत्म स्वरूप को पहचाने सुनील सागर जी

प्रतापगढ़-आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने कहा अमीरों को अमीरी दिखती है लेकिन  उसके पीछै के दुखों के दर्द को कोई समझ नही पाता है। ज़्यादा परिग्रह भी दुखों का कारण बनता है। जीव मे शरीर का अभाव पाया जाता है, लेकिन जीव में ज्ञान का अभाव नही पाया जाता।
    उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हम आत्मस्वरूप को पहचाने। आत्मा के परिणामों की कीमत करे। साँसों के सिक्के की कीमत बहुत लिमिटेड है, इसे बहुत संभालकर सही जगह पर व्यय करना चाहिए। व्यर्थ के कामो में अपनी अमूल्य साँसों को व्यर्थ खर्च न करें।प्रत्येक सांस को परोपकार में खर्च करे। आंख मूंदकर किया गया विश्वास धोखे को निमंत्रण देता है। हमारी आंख अक्सर वही लोग फोड़ते है, जिन पर हम आंख बंद करके विश्वास करते है। शास्त्र गुरु ही  हमे मोक्ष का सही मार्ग दिखाते है।
     यदि आप साधु सन्त श्रमण कहलाते है और आपके अंदर अवगुण भरे है तो आप कुछ भी साध्य नही कर सकते है। हमे सत्य असत्य की पहचान करना चाहिए। अपने कार्य को सोच समझकर करना चाहिए। बिना देखे, परखे किसी पर भी विश्वास नही करना चाहिए।
    संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

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