प्रतापगढ़ - आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन मे कहा कि वर्तमान समय मे हम पिच्छी कमंडल धारी दिगंबर त्यागियों की जो वाणी आपके पास आ रही है यह सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा तपस्वी वाणी का बहुत प्रभाव पड़ता है। उनकी वाणी सुनकर सभी श्रावक अपने दैनिक आचरणों को लेकर विचार में लग जाते है। गुरु की अमृत वाणी सुनने को मिल जाए त व्यक्ति ठिठक जाता है और अपने आचरण पर विचार कर उनमे सुधार कर उनमें आवश्यक सुधार करने लग जाता है। वो भाग्यशाली है जो गुरुवाणी को का श्रवण कर अपने जीवन को बदलने का प्रयास करते है। जिसने भी संतवाणी सुनने के बाद सुना अनुसुना कर दिया तो समझ ले कि उसमे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम वचनों को न अपनाकर अपने सोभाग्य को अनदेखा कर दिया। त्यागी मुनियो की वाणी तप से तपी हुई होने के कारण कभी बेकार नही जाती। वह तो अपना कल्याण कर रहे हैं और दूसरों का भी कल्याण कर रहे है। उन्होंने कहा कर्म उदय में आया तो दुख भोग रहा है लेकिन मा बाप उसका छुटकारा नही करा सकते है। मरण आ गया तो मा बाप को क्रिया कांड तो करना ही पड़ता है। दूसरी बात यह भी है कि लडक़ी पैदा हो गई, अच्छे घराने मे शादी कराई। मा बाप यही सोचते है कि लड़की अच्छी तरह से रहे सुखी रहे लेकिन क्या हो गया लड़की विधवा हो गईं। शादी विधवा होने के लिए नही की थी लेकिन ऐसा ही हो गया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
