अहंकार का नाश ही मानव जीवन का लक्ष्य होना चाहिए- निर्दोषसागरजी

धर्म : मुनि संघ का पावागिरी सिद्धक्षेत्र से खरगोन की ओर मंगल विहार
ऊन-आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनि विनम्रसागरजी  महाराज 14 मुनिराजों  के साथ पावागिरी सिद्धक्षेत्र में पिछले 5 दिनों से धर्म प्रभावना कर रहे  हैं। बुधवार सुबह अभिषेक व शांतिधारा हुई। सुबह 9 बजे मुनिसंघ के सान्निध्य  में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का पूजन हुआ। मुनिश्री विनम्रसागर जी  महाराज ने अपने प्रवचन ने श्रावकों को बताया कि कैसे जीवन में धर्म, आराधना  कर श्रावक धर्म का पालन किया जा सकता है।
 प्रवचन सभा में मुनि श्री  निर्दोषसागरजी महाराज ने कहा अहंकार जीवन को वैसे ही नष्ट कर देता है जैसे  बाढ़ आने पर नदी किनारे खड़ा बरगद का पेड़ उखड़ जाता है, जबकि घास अपने नरम  स्वभाव के कारण अपनी वास्तविक स्थिति में रहती है। उसे किसी प्रकार का  नुकसान नहीं होता है। मुनिश्री ने कहा मनुष्य छोटी सी इच्छा पूरी होने से  ही अपने आपको सुखी मान लेता है। मनुष्य जीवन में समय, समझ व शक्ति तीनों एक  साथ नहीं होती। जीवन में अहंकार रूपी महापाप का नाश ही मानव जीवन का  लक्ष्य होना चाहिए।
खरगोन में होगा मंडल विधान
मुनिसंघ का  बुधवार दोपहर 2.30 बजे पावागिरी सिद्धक्षेत्र से खरगोन की ओर मंगल विहार  हुआ। नंदगांव में रात्रि विश्राम के बाद गुरुवार सुबह 8 बजे खरगोन में मंगल  प्रवेश होगा। खरगोन में समाजजन मुनि संघ की अगवानी के लिए तैयारियाें में  जुटे है। टैगोर पार्क स्थित धर्मशाला में मुनि संघ को ठहराया जाएगा। खरगोन  में मंडल विधान का आयोजन भी होगा।
               संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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