मन की मानी तो मर गए और मन को मारा तो तर गए: गणाचार्य

आचार्य विमल सागर जी महाराज और आर्यिका पद्मश्री माताजी  कलश मंदिर का हुआ भूमिपूजन
पुष्पगिरी-आज मन चंचल हो गया है नीति-अनीति की समझ से परे हो गया है, जो मन  में आ गया कर रहे है, पता नहीं जो कर रहे हैं वो सही है या गलत। इसलिए अपने  मन को वश में करना सीखें। कहते हैं ना मन की माने तो मर गए और मन को मारा  तो तर गए, इसलिए मन वश में होगा तो जीवन में सफलता मिलेगी। यह बात  पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता गणाचार्य पुष्पदन्त सागर जी महाराज ने रविवार को अपने  41वें दीक्षा दिवस कार्यक्रम में कही। 
मुनि श्री सौरभ सागर जी महाराज ने कहा, जब संपूर्ण  समाज, नगरवासियों के पुण्य का उदय आता है तब ही नगर में संतों का आगमन होता  है। जब किसी संत का तीव्र पुण्योदय होता है तब ही संपूर्ण समाज संत की  पावन सन्निधि का लाभ उठाते हैं।
नगर में संतों के आगमन का अर्थ होता है  कल्पवृक्ष का उगना, संस्कारों का शंखनाद होना, सदाचरण की बहार आना, जीवन के  रूपांतरण में सुखद क्षणों का प्रवेश होना। संत समाज रूपी आकाश में धर्म  रूपी सूर्य होते है, जो संसार रूपी सरोवर में रहने वाले श्रावक रूपी कमल को  खिलाने की चेष्टा करते हैं।
 प्रवक्ता रोमिल जैन ने बताया, शांति दुत  गणाचार्य पुष्पदन्त सागर जी महाराज का दीक्षा दिवस कार्यक्रम तीर्थ पर धूमधाम  से मनाया गया। पुष्पगिरी तीर्थ पर विराजमान संस्कार प्रणेता मुनि सौरभ सागर जी महाराज,  मुनि प्रगल्प सागर जी महाराज, आयोजन के संचालनकर्ता क्षुल्लक पर्व सागरजी, आर्यिका  पूर्ण माताजी का कुशल सानिध्य मे भक्तों ने गणाचार्य की गुरु पूजन कर पूण्य  कमाया।
         संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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