सुखी-संतुलित जीवन के लिए आध्यात्मिकता को करें आत्मसात, रखें अहिंसा की भावना प्रमाण सागर जी

4  अप्रैल को समेद शिखर जी में होगा आगमन 
गया-गया बुद्ध भूमि के साथ तीर्थ भूमि है। यहां भावना और संस्कार है। बुधवार को शहर के रमना रोड स्थित जैन भवन में प्रेस वार्ता के दौरान संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम् शिष्य मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज ने कहीं। कहा कि पांचवीं बार इस पावन भूमि पर आगमन हुआ है। संयोग है कि यात्रा के क्रम में ऐसा पड़ाव है जहां लोगों का अनुराग खींच लाता है। मुनि श्री ने जीवन को सुखी व संतुलित बनाने के लिए आध्यात्म पर जोर दिया।
कहा आध्यात्मिकता को आत्मसार्थ करे। हृदय में अहिंसा की भावना रखे, साथ ही संयम का अभ्यास करें। दिनचर्या को सुव्यवस्थित करें। मुनिश्री ने कहा कि जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के लिए मानव मानवता की प्रतिष्ठा होनी चाहिए। वर्तमान परिवेश पर तंज करते हुए मुनि श्री ने कहा कि आज पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव मानव पर है। इसमें हमारी भाषा और वेशभूषा को बदल दिया है। यह देश के लिए नुकसानदेह है। अपनी प्राचीन परंपरा को लोगों के बीच समझाना होगा, तभी आने वाली पीढ़ियों का कल्याण होगा।
जीवन में सात्विक विचार को अपनाएं
मुनि श्री ने श्रद्धालुओं से जीवन में सात्विक विचार अपनाने का आह्वान किया। विचार से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता चलता है,जो व्यक्ति वैचारिक रूप से जितना समृद्ध होता है,वह व्यक्ति उतना ही समृद्धशाली होता चला जाता है। जीवन को सुंदर बनाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि सोच को सही करें। आज भौतिकयुग में लोग मृग-मरीचिका की तरह लाभ प्राप्ति के लिए भाग रहे हैं, जिससे उन्हें शांति की तलाश नहीं मिलती, फिर भी निजी लाभ के लिए दौड़ रहे हैं।
मुनि श्री के दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालु
मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज का दर्शन करने के लिए दिन भर श्रद्धालु का आगमन लगा रहा, साथ ही प्रवचन को सुनने के लिए काफी संख्या में महिलाएं व पुरुषों की भीड़ लगी। इस बीच भक्तो ने जय गुरुदेव, जय जिनेंद्र, प्रमाण सागर जी महाराज की जय का जयकारा लगाते हुए विदाई दी। इस मौके पर समाज के प्रवक्ता मुन्ना सरकार जैन ने दी। वहीं दूसरी तरफ प्रवचन सुनने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी।
मंगल भावना गीत के प्रवचन का समापन
प्रवचन का समापन मंगल भावना गीत मंगल मंगल होय जगत में सब मंगलमय होय, इस धरती के हर प्राणी का मंगलमय होय के साथ हुआ। दो दिनों के अल्प प्रवास के बाद मुनि 108 श्री प्रमाण सागर जी महाराज एवं 108 श्री अरह सागर जी महाराज पदयात्रा कर मंगल विहार करते हुए पावन तीर्थ स्थली सम्मेद शिखर की ओर रवाना हो गए। 
विचारों से बदल सकता हैं संस्कार : मुनिश्री
जैन भवन में दिव्य सत्संग समारोह के अंतिम दिन मुनि श्री ने मंगल प्रवचन दिया। कहा कि विचारों से संस्कार बदला जा सकता है। सुंदर विचार से मनुष्य ऊपर उठता है और कुविचार से मनुष्य नीचे गिरता है। मनुष्य के भाव विचार पर ही निर्भर करते हैं, लेकिन विचार की दिशा क्या है? यह सात्विक सोच पर ही निर्भर करता है। मुनिश्री ने कहा कि मन में सुंदर विचार आएंगे तो हर कार्य श्रेष्ठ होंगे।
       संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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