दया परमात्मा का पहचान चिन्ह है विभव सागर जी
बागीदोरा-आचार्य विद्यासागर संयम भवन बागीदौरा में बुधवार को आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते आचार्य श्री सुन्दर सागरजी महाराज ने कहा कि व्यक्ति को सुख चाहिए तो उसे सांसारिक मोह एवं लालसा का त्याग करना होगा। जीव खाली हाथ इस धरती पर आता है एवं खाली हाथ ही इस दुनिया से जाता है। हमारे साथ हमारे द्वारा किया गया पुण्य कार्य की काम आता है ।
बाद में आचार्य श्री विभवसागरजी महाराज ने बताया कि कोई किसी का हृदय परिवर्तन करना चाहता है तो उसे स्वयं के हृदय में पवित्रता लानी होगी। दया धर्म का मूल है। साधु का जीवन दयामय होता है। दया परमात्मा का पहचान चिन्ह है। प्रवक्ता दीपक दोसी ने बताया कि शाम को आचार्य ससंघ ने दयोदय गोशाला का अवलोकन किया और जीव दया के पुनीत कार्य को लेकर अभिभूत हुए। इसके अलावा श्रद्धालुओं की शंका का समाधान भी किया। बाद में आचार्य भक्ति की गई। संचालन विनोद दोसी ने किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
