घाटोल-वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने गुरुवार काे धर्मसभा में कहा कि कुछ करना है तो डट कर चल, थोड़ा दुनिया से हट कर चल, सीधे रास्ते हर कोई चल देता है, तू थोड़ा अलग होकर चल, जो सब कर रहे हैं वही तुम कर रहे हो तो तुम में और उन में फर्क क्या...? कुछ हटकर विशेष पद्धति होनी चाहिए।जब तक जीवन में व्रत और संकल्प नहीं है तब तक इंसान का जीवन मनुष्य का जीवन नहीं कहा जा सकता। रात्रि भोजन का त्याग जैनियों की पहचान है और उस पर रात्रि में शादी और रात्रि में सामूहिक भोज कहां तक उचित है...? जैन समाज को शादी की पत्रिका में या किसी अन्य पत्रिका में यह कदापि नहीं लिखना चाहिए शाम को 5 बजे से लेकर आपके आगमन तक। निश्चित समय का पालन होना चाहिए जीवन में हम छोटी-छोटी बातें पकड़ कर बैठे हैं लेकिन जीवन और समाज में सुधार की जरूरी बातों पर ध्यान ही नहीं देते।
मंदिर में दीपक नहीं जलेगा इस पर ध्यान देते हैं लेकिन शादी में पूरी रात भट्टी जलाकर समाज का भोजन बना रहे वहां कोई ध्यान नहीं देता तो वहां कितनी हिंसा हो रही है। अन्य समाज के लिए आपका जैन समाज एक आदर्श है उनकी यही मान्यता है कि जैनी लोग रात में खाना नहीं खाते। फिर यह जिम्मेदारी हमारी है उसकी प्रतिष्ठा को बनाए रखने की। साथ ही जैन समाज के नोहरा एवं प्रांगण केवल शुद्ध शाकाहारी व कंदमूल त्यागी समाज को देना चाहिए। यह मर्यादा जिनशासन के प्रतिष्ठा एवं गौरव के सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। जीवन में मर्यादा की सुरक्षा एवं नियम की सुरक्षा नहीं होने से जीवन बिगड़ जाता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी