नेमावर-सागर में मंदिर का निर्माण हजारों वर्ष के लिए और अहिंसा धर्म के प्रभावना के लिए हो रहा है। सागर के लोग भाग्योदय के लिए दिल से दान देते हैं और अपने बच्चों को भी अपव्वय करने से रोकते हैं। साथ ही दान करने के लिए प्रेरित भी करते हैं। यह बात नेमावर में विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में सागर के दानियों का उल्लेख करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि बांदरी जैसे कस्बे में पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के बाद जो राशि शेष बची थी। वह पूरी समाज ने तय करके प्रतिभास्थली स्कूल, पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय जबलपुर और भाग्योदय में निर्माणाधीन सर्वतोभद्र जिनालय में देने का संकल्प लिया है। आचार्यश्री ने कहा व्यक्ति मोह के साथ परिग्रह करता है और ऐसे धन का समय-समय पर दान के रूप में सदुपयोग करता है। यह पुण्य का योग है। देव शास्त्र गुरु के लिए आप लोगों का समर्पण भाग्य से होता है। उन्होंने कहा जैन समाज जागरूक समाज है। भाग्योदय में पांच पंचकल्याणक हुए हैं और जो बचत की राशि आई है उससे चिकित्सा उपकरण आदि खरीदे गए हैं। जिससे बुंदेलखंड के लोगों को लाभ हो रहा है। समाज के द्वारा अपने का द्रव्य का उपयोग अच्छे ढंग से हो रहा है। धीरे-धीरे बुंदेलखंड का विस्तार मालवा के साथ मैत्री पूर्ण तरीके से हो रहा है। भाग्योदय मंदिर की निर्माण समिति में युवाओं के साथ 1-2 वृद्धों को भी रखा गया है। ताकि युवा अच्छे से काम करें। जैन धर्म और अहिंसा धर्म की सर्वत्र जय-जय कार ह। भारत पुनः सजीव हो जाए और अहिंसा धर्म पहले की भांति पूरे भारत में लोग मानने लगें।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
