घाटोल-कस्बे के वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर प्रांगण में बुधवार को धर्मसभा में आदर्श महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने कहा कि बड़ा संदेश है यह कि पुरुषार्थ करते हैं तो अवश्य सफल होते हैं। भगवान महावीर और तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मति सागरजी महाराज कोई एक दिन में तपस्वी नहीं बने। एक समय उन्होंने ऐसा पुरुषार्थ किया तब आज युगों-युगों तक याद किए जाते हैं और पूजे जाते हैं। कभी जीवन में निराश एवं हताश नहीं होना उम्मीद की किरण हमेशा बनाए रखना कि कोई एक रास्ता तो है। जीवन में सफल होने का व्रत और संयम का मार्ग प्रारंभ में बड़ा कठिन लगता है।
आज औरों से बात करने के लिए फोन जरूरी है और स्वयं से बात करने के लिए मौन जरूरी है। आवश्यक जड़त्व अपनी मर्यादा में है लेकिन चेतन अपनी भूल में है जीवन में अगर थोड़ा मौन आ जाए तो जीवन में संयम आ जाता है और संयम जीवन की गाड़ी का ब्रेक है और बिना ब्रेक की गाड़ी का क्या हाल होगा सोचो और यह आप सभी जानते हैं। व्रत की भावना आते रहने से व्रतों को पालने की दृढ़ता आती है। वहीं आचार्यों ने हर व्रत की पांच-पांच भावनाएं बताइए संकल्प में शक्ति होने से साधना में शक्ति आती है। आजकल कई लोग कोरोना का नाम सुनते ही डर और घबरा कर मर जाते हैं उन्होंने इतना सिर पर ले लिया है कि हॉस्पिटल में डॉक्टर मुंह पर ऑक्सीजन का ढक्कन लगा दे समझ लेते हैं अब तो मर गए। ऐसे हिम्मत तोड़ने से टूट जाते हैं। वहीं संकल्प वान व्यक्ति दृढ़ संकल्प लेकर हर बीमारी छुटकारा पा कर उसे हरा देता है। जीवन में छोटे-छोटे संकल्प लेने वाले बड़ी-बड़ी उपलब्धियां प्राप्त करते हैं।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी