घर में बैठकर बड़ी-बड़ी बातें करने से काम नहीं चलेगा: मुनिश्री विनम्र सागर जी

विदिशा-आचार्य गुरूदेव विद्यासागर महाराज ने जब मुनि दीक्षा ली तो वह मात्र 21 वर्ष के थे और उनके गुरू 78 वर्ष के थे। जब वह दिगंबर मुनि बने थे तो अपने लिए बने थे, उस समय उनको अपने आपसे और अपने गुरू से मतलब था। बात उस समय संस्कारों की थी और वह शुद्ध अंतरमुखी जीवन जीते थे। यह बात मुनि विनम्र सागर ने अष्टान्हिका महापर्व पर आयोजित श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के बीच शीतलधाम पर आयोजित धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा कि गुरु ज्ञान सागर ज्योतिष विज्ञान के बहुत बड़े ज्ञाता थे। उन्होंने 78 वर्ष की उम्र में यह जान लिया था कि यह 21 वर्ष का बालक भले ही उनकी जिंदगी में लेट आया है, मेरी संल्लेखना का समय निकट है, लेकिन यह जैन संस्कृति का बहुत बड़ा उत्थान करेगा। उन्होंने पांच साल में आचार्य गुरुदेव को ऐसा तैयार किया कि आज श्रमण संस्कृति का उत्थान कर पूरे भारत को ही गुरूकुल बना दिया। मुनिश्री ने कहा कि विदिशा के लोग ठान लें तो आचार्य गुरूदेव जब भोपाल के हबीबगंज मंदिर का पंचकल्याणक कराने के लिये लौटें तो यह शीतलधाम का समवसरण मंदिर भी उनको तैयार मिले और पहले विदिशा का ही पंचकल्याणक हो। उन्होंने कहा कि शीतलधाम का यह समवसरण मंदिर गुरुदेव की जवाबदारी नहीं है। यह तो उस प्रत्येक जैन परिवार और अहिंसा धर्म के पालनकर्ता की जवाबदारी है। नगर के एक हजार परिवार भी यह ठान लें तो विदिशा जैन समाज को बाहर से धन मांगने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। हम लोग 300 किमी दूर से पैरों में छाला पाड़कर आपके नगर में आए हैं। घर में बैठकर बड़ी-बड़ी बातें करने से काम नहीं चलेगा। कार्यकर्ता बनकर निकल पड़ेंगे तो आचार्य का आशीर्वाद और मेहनत कारगर सिद्ध होगी।
76 वर्ष की इस उम्र में मात्र 24 अंजुली जल लेकर पूर्णायु को महाविद्यालय बनाने जबलपुर की ओर बढ़ रहे आचार्य
उन्होंने कहा कि आज इस भीषण गर्मी में जो लोग एसी और कूलर मे बैठे हुए हैं और पूज्य गुरूदेव अपने जीवन की उस संध्याकाल में 76 वर्ष की इस उम्र में मात्र 24 अंजुली जल लेकर पूर्णायु को महाविद्यालय बनाने के लिए जबलपुर की ओर बढ़ रहे हैं। मुनि ने कहा कि आचार्य रोज 15 किलोमीटर, 10 किलोमीटर, 5 किलोमीटर जैसा उनका स्वास्थ और मौसम साथ दे रहा है वह आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस भीषण गर्मी में गुरुदेव का बहुत ही सीमित आहार होता है। वह आठ अंजुली जल आहार के पहले आठ अंजुली जल आहार के मध्य और आठ अंजुली जल आहार के अंत में लेते हैं। आचार्य गुरुदेव के दिमाग में कुंडलपुर के बड़े बाबा विदिशा के भगवान शीतलधाम का मंदिर  है 
                 संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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