जहां पर बुद्धि जाती है श्रद्धा पीछे से चली जाती है। जहां पर श्रद्धा होती है, निश्चित ही चित्त वही लीन हो जाती है। : अर्हम मति माताजी

बांसवाड़ा-हो जाता है यदि अपने अपने खेत में माणना जो है। वह तो खेत है यदि माणने रूपी खेत में यदि आप ने उत्कृष्ट बीज डाला तो आपको उत्कृष्ट फल प्राप्त होता है। मन शुद्धि के बिना शिवफल नहीं मिलता है, वचन और काय शुद्धि के बिना मोक्ष फल नहीं मिलेगा। मन को शांत रखने के लिए एकासन है, शोध के भोजन के साथ-साथ वचन का तो शोधन कर लो मन शुद्धि के लिए वचन शुद्ध कर लो। यह जानकारी चातुर्मास समिति के प्रवक्ता महेंद्र कवालिया ने दी।

 बाहुबली कॉलोनी में विराजमान आर्यिका रत्न 105 अर्हम मति माताजी ने अपने प्रवचन के माध्यम से बताया कि प्रिय आत्म अष्टानिका पर्व में सिद्ध की आराधना सिद्ध की प्राप्ति के लिए कर रहे हैं। आचार्य भगवन पूज्यपाद स्वामी कहते हैं, जहां पर बुद्धि जाती है श्रद्धा पीछे से चली जाती है। जहां पर श्रद्धा होती है, निश्चित ही चित्त वही लीन हो जाती है। आचार्य भगवान पूज्यपाद स्वामी ऐसा समाधि तंत्र में लिखा है, जब गिद्ध सिद्ध हो सकता है तो आप सिद्ध क्यों नहीं हो सकते। गुरु रुपी श्रद्धा को बिठाए रखना, शास्त्र रूपी श्रद्धा को बिठाए रखना, देव रूपी श्रद्धा को बिठाए रखना सिद्ध
                संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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