सागर -प्रत्येक संसारी प्राणी कहीं से आ रहा है और कहीं जाना है। आना-जाना तो इस दुनिया में लगा रहता है। धर्म में कोई छोटा बड़ा नहीं हुआ करता। वर्तमान समय में धन की नहीं धर्म की रक्षा करने की जरूरत है। यह बात मुनिश्री समयसागर महाराज ने रविवारीय प्रवचन के अवसर पर कहीं। उन्होंने कहा धर्म का स्वरूप जैन दर्शन के अनुरूप हमें समझना है। संसारी प्राणी के पास ज्ञान विद्यमान है। बाकी के पास ज्ञान नहीं है। ज्ञान के माध्यम से बहुत सारे पदार्थों का अविष्कार कर लेता है। आज इंग्लिश का दौर है। इसके मुकाबले हिंदी में बहुत कम लोग पढ़ते हैं और संस्कृत तो लुप्त सी हो गई है। आचार्यों ने ग्रंथों में संस्कृत व प्राकृत भाषा का उपयोग किया है।
सागर जैन समाज ने किया चातुर्मास के लिए महाराज से निवेदन
इसी कड़ी मे सकल दिगंबर जैन समाज सागर ने भाग्योदय तीर्थ में विराजमान निर्यापक मुनिश्री समय सागर महाराज को श्रीफल समर्पित कर भाग्योदय तीर्थ सागर में ही चातुर्मास करने के लिए निवेदन किया। मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया कि नगर के सभी 64 जैन मंदिरों के अध्यक्ष, मंत्री और समाज के प्रमुख पदाधिकारी, भाग्योदय के ट्रस्टी सहित अन्य समाजजन ने भाग्योदय पहुंचकर मुनिश्री समय सागर महाराज को श्रीफल समर्पित किया और सागर में ही वर्षा कालीन चातुर्मास करने के लिए निवेदन किया है। इसके पूर्व आचार्यश्री की पूजन हुई।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
