बांसवाड़ा-बाहुबली कॉलोनी जैन मंदिर में विराजित आर्यिका अर्हम श्री माताजी ने प्रवचन में बताया प्रिय आत्मन जब हम निश्चय नय में प्रवेश करते हैं तो माता पिता का त्याग किया जाता है। व्यवहार नय में संसार में जीने के लिए माता-पिता की छाया अनिवार्य है। इसी तरह व्यवहार से निश्चय नय में प्रवेश करने के लिए एक मां की नहीं आठ-आठ की आवश्यकता होती है। गुरु मां ने बताया मोक्ष मार्ग का परिवार मेरे पिता का नाम धैर्य है मेरी मां शांति है। मेरे पिता और मेरी माता 24 घंटे रहते हैं। तुम्हारी माता तुमसे थोड़ी देर ही गोद में बिठाएगी, तुम्हें थोड़ी देर ही माता पिता के साथ रहने मिलता होगा पर मेरे माता-पिता मेरे साथ जीवन भर रहेंगे, जो माता पिता से दूर रहेंगे। उन्हें क्या माता पिता संबल देंगे जब तुम माता पिता के साथ रहोगे तभी तो दुख के समय माता पिता तुम्हें संबल दे पाएंगे। कैसी भी परिस्थिति आ जाए तब भी धैर्य का बांध न टूटे, क्योंकि धैर्य का बांध टूटेगा तो शांति चली जाएगी। अर्थात जब तक धैर्य रूपी पिता साथ रहेगा तब तक शांति रूपी मां तुम्हारे साथ रहेगी।
दीक्षा के समय मुझे आचार्य भगवन ने 3 सूत्र दिये
आर्यिका माताजी ने कहा दीक्षा के समय आचार्य भगवन ने मुझे यह 3 सूत्र दिए थे। धैर्य का बांध न टूटे, गुरु का साथ ना छूटे, अपने अपने से ना रूठे अर्थात आत्मा आत्मा से ना रूठे हमारा कोई भी परिस्थिति में धैर्य न टूटे। यह जानकारी चातुर्मास कमेटी के प्रवक्ता महेंद्र कवालिया ने दी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
