जबलपुर -हम अपने आंतरिक भावो के बारे में जानकारी ले सकते है। भाव हमारे भीतर ही होकर हमसे दूर है, ऐसा अनुभव हमे होता रहता है, जबकि ऐसा ही नही। हम अपने भावों के निकट रहे, उन्हें अलग न रखे, बल्कि भावो के निकट रहने का प्रयास करे। तत्त्व दो प्रकार के होते है जड़ और चेतन इन दोनों का अनादि कालीन सबंध होने के कारण कभी वह एक शक्ति के रूप में जड़ शरीर के साथ संघर्ष कर रहे है। अनादि काल से ज्ञात है, शरीर की प्रक्रति कफ, वात, पित की होती है। आयुर्वेद में इन सबका इलाज जल से किया जा सकता है। जल को गर्म किया जाता है यानी जल की तपस्या होती है और इन तीनो तरह के रोगों की हार हो जाती है। ये उद्गार दयोदय तीर्थ में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने व्यक्त किए।
मुख्य सचेतक आचार्य श्री की आशीष लेने आए
शुक्रवार की बेला में जबलपुर सांसद एवम लोकसभा मुख्य सचेतक श्री राकेश सिंह आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शन एवम आशीर्वाद लेने दयोदय तीर्थ गोशाला पहुंचे। आचार्य श्री के दर्शन उपरान्त उन्होंने पूर्णायु आयुर्वेद संस्थान का निरीक्षण किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी
