खांदी में मासूम की मौत के बाद हरकत में आया विभाग, 14 कुपोषित बच्चे एनआरसी में भर्ती


योगेंद्र जैन पोहरी। खांदी गाँव में कुपोषण से हुई मासूम की दर्दनाक मौत ने प्रशासन और महिला बाल विकास विभाग को झकझोर कर रख दिया। वर्षों से चल रही योजनाओं और करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी आदिवासी बस्तियों में मासूम बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं। मौत के बाद जब विभाग की नींद टूटी, तब जाकर 14 कुपोषित बच्चों को पोहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के एनआरसी वार्ड में भर्ती कराया गया।

पोहरी ब्लॉक की आंगनबाड़ियों में कुपोषित बच्चों का मिलना विभागीय लापरवाही को उजागर करता है। शासन ने बच्चों की देखरेख के लिए स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग दोनों को जिम्मेदारी दी है, लेकिन खांदी में हुई मौत और एनआरसी में भर्ती बच्चों की हकीकत इन योजनाओं की पोल खोल रही है।

ये बच्चे हुए भर्ती :
देहदे निवासी निकिल (1 वर्ष), दुल्हारा निवासी अनिल (2 वर्ष) और कार्तिक (4 वर्ष), मेहलोनी का विकास (1 वर्ष), मचा खुर्द की जुली (6 माह) और मुस्कान (8 माह), डिगडोली का समीर (10 माह), बेहटी निवासी गोमल (8 माह) और स्माइली (14 माह), टपरपुरा निवासी बलवीर (3 माह) और बीर (2 वर्ष), देहदे का नीतेश (1 वर्ष), अर्गरा निवासी मल्होत्रा (9 माह) और पूनम (10 माह) शामिल हैं।

अमित यादव, प्रभारी परियोजना अधिकारी पोहरी ने कहा—
“मैंने हाल ही में कार्यभार संभाला है। जानकारी मिलते ही तत्काल सभी बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया गया है।”

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गाँव-गाँव निरीक्षण किया जाए तो और भी कुपोषित बच्चे सामने आ सकते हैं। बड़ा सवाल यह है कि शासन से लाखों रुपये फंड खर्च होने के बावजूद आदिवासी बस्तियों के मासूम अब तक कुपोषण के शिकार क्यों हैं?खांदी में मासूम की मौत के बाद हरकत में आया विभाग, 14 कुपोषित बच्चे एनआरसी में भर्ती


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