अस्तित्व नही, आस्था मुख्य है पुलक सागर जी

 बांसवाड़ा -बाहुबली कॉलोनी दिगम्बर जैन मंदिर  में आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने कहा कि अगर मानव आस्था के साथ जुड़ तो शायद बहुत कार्य सार्थक हो जाए, लेकिन जब मंज़िल का पता नही है तो मार्ग का पता कैसा होगा। मन खाली देह मे नही होते, मन का सम्बन्ध चेतना के साथ होता है। मन साहित्य के ज्ञान की चेतना से प्रेम करता है, लेकिन शरीर बाहरी पदार्थो को मांगता है। शॉर्ट कट के चलते जिंदगी तो सरल बन जाती है , लेकिन हमारी साधना की जिंदगी बिखर जाती है।
  उन्होंने कहा कि जीवन में पैसा मुख्य नही है,परमात्मा मुख्य है। अस्तित्व मुख्य नही है, आस्था मुख्य है। जहां जो कुछ भी मिलता है वह सब आस्था से है। तुमने पूर्व जन्म दान दिया, पूजा की, साधु सन्तो की सेवा की इसीलिए पुण्य उदय से आज यह धन ऐश्वर्य मिला है। पुण्य जब होता है तो सिर्फ पैसा दिखता है और जब पुण्य नही होता है तब सिर्फ आस्था दिखती है।
     संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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