हम जैन कुल में जन्मे हैं, अभिमान करो... नगर में रथयात्रा महोत्सव के तहत निकाली भगवान सांवलिया पार्श्वनाथ की रथयात्रा

अभिषेक जैन पिडावा-केसरिया केसरिया..., पारस प्यारो लागे, पारस तेरी कठिन है डगरिया..., वीर जन्मे, सांवलिया पार्श्वनाथ के दरबार में... जैन कुल में जन्मे अभिमान करो रे, जैसे सुमधुर भजनों से पिडावा नगर धर्ममय हो गया। अवसर था भगवान सांवलिया पार्श्वनाथ के रथयात्रा महोत्सव का। दिल्ली के कलाकारों, बड़नगर के बैंड व बारां के घोष से सजी रथयात्रा रविवार को निकाली गई। रथयात्रा में श्रद्धालु भगवान सांवलिया बाबा के जयकारे लगाते चल रहे थे। सांवलिया पार्श्वनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र बड़ा मंदिर से शुरू हुई।
स्थानीय लोग अपने घरों के बहार हाथों में श्रीफल और दीपक की थाली लेकर खड़े थे जैसे ही रथयात्रा घरों के सामने से गुजरी लोगों ने रथ में सवार भगवान पार्श्वनाथ की आरती कर श्रीफल चढ़ाया। सकल दिगंबर जैन समाज की ओर से रविवार को भगवान पार्श्वनाथ की रथयात्रा आचार्य श्री दर्शन सागरजी  महाराज एवं मुनि श्री ज्ञेय सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में निकाली गई।  बड़नगर का सुप्रसिद्ध म्यूजिकल बैंड रथयात्रा की अगवानी कर रहा था। बैंड के गायककार जैन धार्मिक भजनों की गंगा बहाते चल रहे थे। पीछे भजन मंडली नृत्य करते हुए भजन गाते हुए चल रही थी। इसके पीछे भगवान पार्श्वनाथ का रथ चल रहा था, इसमे नन्हे-नन्हे बच्चों के साथ भगवान पार्श्वनाथ सवार रहे। जैसे ही रथयात्रा आगे बढ़ती लोग जुड़ते गए।
करीब आधा किमी से भी ज्यादा रथ यात्रा में चलने वालों की भीड़ नजर आ रही थी। स्थानीय जैन समाज की महिलाओं ने घरों के बाहर सुंदर रंगोली बनाई। महिलाएं केसरिया व पुरुषों ने सफेद वस्त्र में शोभायात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे। रथयात्रा मोहल्ला चौधरियान, शेरमोह्ल्ला, सेठान मोहल्ला होते हुए सुभाष चौक, सब्जीमंडी वीडियो चौराहा, नयापुरा, मैला मैदान होते हुए चंवली नंदी के तट पर स्थित सूरजकुंड मंदिर परिसर पहुंची।
इस मौके पर पिच्छिका परिवर्तन समारोह और प्रवचन हुए।

स्वविवेक से विचार कर धर्म के रास्ते पर चलते हुए सद्कार्य करना चाहिए:  आचार्य श्री दर्शन सागर जी महाराज
आचार्य श्री दर्शन सागरजी  महाराज ने प्रवचन में बताया की मनुष्य को अपने स्वविवेक से विचार कर धर्म के रास्ते पर चलते हुए सद्कार्य करना चाहिए और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए प्राणी मात्र पर दया और सेवा का भाव रखने का संकल्प दिलाया।
मुनि श्री ज्ञेय सागर जी  महाराज का पिच्छिका परिवर्तन
इस मौके पर मुनि श्री ज्ञेय सागर जी महाराज के पिच्छी परिवर्तन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया ओर सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष  ने रथयात्रा महोत्सव के इतिहास पर प्रकाश डाला। प्रवचन के बाद श्रीजी पूजन की गई और अभिषेक किया गया। इसमें अपार जन समूह मौजूद रहा। शाम को वापस फिर रथ समाज के स्नेहभोज के बाद रवाना हुआ जो नयापुरा चोक पहुंचा। यहां पर भगवान की महा आरती हुई इसके बाद संगीतमय कार्यक्रम दिल्ली के सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया।
धार्मिक भजनों पर थिरके युवा
: डीजे और बैंड की धुनों पर थिरके युवा रथयात्रा महोत्सव के आकर्षण का केंद्र रहे। बड़नगर का सुप्रसिद्ध म्यूजिक बैंड ने युवाओं को भजनों पर थिरकने को मजबूर कर दिया। जहां मौका मिला वहां महिलाओं ने नाचते हुए प्रभु भक्ति की। मुनि ब्रह्मा नंद सागर महाराज की झांकी और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाली झांकी आकर्षण का केंद्र रही। इस बार ड्रोन द्वारा फूलों की वर्षा की गई जिसको देखकर लोग उस की और देखने लगे।
दुल्हन की तरह सजा शहर: रथयात्रा महोत्सव के लिए नगर को दुल्हन की तरह सजाया गया। जिन मार्गों से रथयात्रा निकलने वाली थी उन सभी मार्गों को तोरण द्वार लोगों ने अपने संस्थान और ग्रुप के बेनरों से सजाया गया था। इसके अलावा जैन समाज के सभी घरों पर जैन धर्म के झंडे लहरा रहे थे।
पिड़ावा। जैन द्वारा निकाली गई रथयात्रा में बैंड के साथ महिलाएं।
दूर दराज से शामिल हुए श्रद्धालु
रथयात्रा में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते है दिल्ली, जयपुर, कोटा, बारां, इंदौर, उज्जैन, आगर, पिपलोन, धतुरिया, नलखेड़ा, सुसनेर, धरोला, भोपाल, राजगढ़, गुना, डग, बोलिया, प्रतापगढ़, भवानीमंडी, सोयत, अमरकोट, कडोदिया, सुनेल, डोला, मायाखेड़ी, खारपाकलां, कोटडी, आवर, अशोकनगर, झालावाड़, झालरापाटन, बकानी, रटलाई, ताखला, मोडी, सुइगांव, पगारिया, चौमहला आदि जगहों के श्रद्धालु रथयात्रा में शामिल हुए। वहीं सकल दिगंबर जैन समाज के द्वारा निकाली गई रथ यात्रा के दौरान समाज के लोगों ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखे।
            

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