इंदौर -मंदिरों का निर्माण अति आवश्यक है। मंदिरों से समाज का विकास होता है। समाज संस्कारवान बनता है, संगठित होता है और परिवार व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने में मददगार भी बनता है। गुरुवार को यह बात मुनि श्री प्रशांत सागर जी महाराज ने खातीवाला टैंक स्थित नवनिर्मित जैन मंदिर के भव्य वेदी एवं शिखर शिलान्यास समारोह में कही।
उन्होंने कहा- कॉलोनी में मंदिर होने से संतों का आवागमन लगा रहता है। इससे बच्चों, महिलाओं, पुरुषों में धर्म के प्रति रुझान बढ़ता है और वे संस्कारित होते हैं। व्यक्तियों के पाप और पुण्य उनके कार्यों में नजर आते हैं। लोग कहते हैं पैसा पैसे को खींचता है वैसे ही पुण्यवान बनने के लिए तुम्हें पुण्य कार्य करना पड़ेगा और बड़ा पुण्य करने के लिए बड़ा हृदय भी चाहिए होता है।
कार्यक्रम के शुरू में दीप प्रज्ज्वलन किया गया। । सभी मांगलिक क्रियाएं पं. रतनलाल शास्त्री, ब्रह्मचारी अनिल भैया, ब्रह्मचारी अभय भैया द्वारा करवाई गईं। आचार्य का पूजन महिला मंडल के सदस्यों ने किया।
उन्होंने कहा- कॉलोनी में मंदिर होने से संतों का आवागमन लगा रहता है। इससे बच्चों, महिलाओं, पुरुषों में धर्म के प्रति रुझान बढ़ता है और वे संस्कारित होते हैं। व्यक्तियों के पाप और पुण्य उनके कार्यों में नजर आते हैं। लोग कहते हैं पैसा पैसे को खींचता है वैसे ही पुण्यवान बनने के लिए तुम्हें पुण्य कार्य करना पड़ेगा और बड़ा पुण्य करने के लिए बड़ा हृदय भी चाहिए होता है।
कार्यक्रम के शुरू में दीप प्रज्ज्वलन किया गया। । सभी मांगलिक क्रियाएं पं. रतनलाल शास्त्री, ब्रह्मचारी अनिल भैया, ब्रह्मचारी अभय भैया द्वारा करवाई गईं। आचार्य का पूजन महिला मंडल के सदस्यों ने किया।
नौ महीने तक अस्थायी मंदिर में रखी गई थीं प्रतिमाएं
मंदिर के गोटूलाल व समाज के संजीव जैन ने बताया पुराना मंदिर 21 जुलाई 1988 को 9 माह में बनकर तैयार हुआ था। मंदिर उस वक्त करीब 600 वर्गफीट में बना हुआ था। मंदिर में संत सदन नहीं होने से परेशानी आती थी और बड़े आयोजन नहीं हो पाते थे। इसके बाद वर्ष 2016 में पास का 2000 वर्गफीट का प्लॉट लिया गया। फिर पुराने मंदिर को तोड़कर नए मंदिर के निर्माण का काम करीब 2600 वर्गफीट पर शुरू किया। जुलाई 2017 में मंदिर की प्रतिमाओं को डेढ़ किलोमीटर दूर अस्थायी रूप से मंदिर बनाकर शिफ्ट किया गया और यहां पर मंदिर का निर्माण काम शुरू किया। 25 मई 2018 में खातीवाला टैंक में बने मंदिर में प्रतिमाओं को शिफ्ट किया गया। तब तक अस्थायी तौर पर मंदिर का निर्माण हो चुका था।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
मंदिर के गोटूलाल व समाज के संजीव जैन ने बताया पुराना मंदिर 21 जुलाई 1988 को 9 माह में बनकर तैयार हुआ था। मंदिर उस वक्त करीब 600 वर्गफीट में बना हुआ था। मंदिर में संत सदन नहीं होने से परेशानी आती थी और बड़े आयोजन नहीं हो पाते थे। इसके बाद वर्ष 2016 में पास का 2000 वर्गफीट का प्लॉट लिया गया। फिर पुराने मंदिर को तोड़कर नए मंदिर के निर्माण का काम करीब 2600 वर्गफीट पर शुरू किया। जुलाई 2017 में मंदिर की प्रतिमाओं को डेढ़ किलोमीटर दूर अस्थायी रूप से मंदिर बनाकर शिफ्ट किया गया और यहां पर मंदिर का निर्माण काम शुरू किया। 25 मई 2018 में खातीवाला टैंक में बने मंदिर में प्रतिमाओं को शिफ्ट किया गया। तब तक अस्थायी तौर पर मंदिर का निर्माण हो चुका था।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी