शादी समारोह में भोजन का प्रबंध सूर्यास्त से पहले हो : मुनि


बड़ोदिया-आचार्य श्री  विद्यासागर जी  महाराज के 50वें संयम दीक्षा महोत्सव के उपलक्ष्य में बनाए संयम कीर्ति स्तंभ का लोकार्पण रविवार को  मुनि श्री समता सागरजी महाराज ससंघ के सान्निध्य में हुआ। धर्मसभा में समता सागरजी महाराज ने कहा कि समाज में सबसे पहले यह नियम बनना चाहिए कि किसी भी घर में शादी और अन्य समारोह में निमंत्रण पत्रिका में सबसे पहले ये लिखा जाए कि भोजन का प्रबंध सूर्यास्त से पूर्व तक का ही रखा गया है। निमंत्रण पत्रिका में जो लोग आपके आगमन तक लिखते हैं उनको मंदिर में निमंत्रण पत्रिका रखने का भी अधिकार नहीं है और ना ही निमंत्रण पत्र में भगवान व गुरु का नाम लिखने का अधिकार है। क्योंकि रात्रि भोजन पाप बंध का करण बनता है। धर्म सभा में ही समाज के कांतिलाल खोडणिया, राजेंद्र खोडणिया परिवार ने दिन में शादी व भोजन कराने का संकल्प लिया। मुनि श्री  ने कहा कि जहां भी धर्म की बात होती है चाहे व हिंदू, मुस्लिम सिख और ईसाई को भी हो, सभी धर्मों में अहिंसा और जीव दया को पहला स्थान दिया जाता है। अहिंसा दुनिया में सारे धर्मों का प्राण तत्व है। भगवान महावीर स्वामी से लेकर संत महात्माओं ने अहिंसा धर्म पर ही बल दिया। मुनि श्री ने कहा कि साधना के रूप में निग्रंथ संयम का मार्ग ही अहिंसा का मार्ग है। जिन गुरुवर ने साधना के पच्चास वर्ष संपन्न कर लिए। इससे जैन समाज ही नहीं समूचे मानवता का सौभाग्य है कि इस कलिकाल में गौरव की बात है कि हमारे बीच हमारे गुरुवर है। संयम कीर्ति स्तंभ से हमें यह प्रेरणा लेनी है कि जल है तो जीवन है, जमीन का संरक्षण होना चाहिए जिससे धरा हरी भरी रहे, पशुओं संरक्षण व जन संरक्षण इन पांचों का पूरा सम्मान होना चाहिए। एलक श्री निश्चय सागरजी महाराज ने भी धर्म सभा को संबोधित किया।
वही  कीर्ति स्तंभ का  विधिवत पूजन किया। समारोह में हुमड़ समाज अध्यक्ष  ने हुमड़पूरम में बालिका शिक्षा के लिए निर्माणधीन विद्यालय के बारे में जानकारी दी। समाज के चांदमल जैन ने बड़ोदिया के मुख्य छोर चिरोला मोड़ पर बने अहिंसा का संदेश देने वाले कीर्ति स्तंभ से धर्म प्रभावना बढ़ने की बात कहीं।
    संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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