प्रमाण सागरजी महाराज  से महाव्रत संस्कार लेकर 87 वर्ष के बाबा शांतिकुमार जी  ने संल्लेखना विधि से ली समाधि





एक परिचय बाबाजी का
क सिद्धक्षेत्र बावनगजा में बुधवार सुबह ब्रह्मचारी श्री  बाबा शांतिकुमार जी (87) ने मुनिश्री प्रमाण सागरजी महाराज से महाव्रत संस्कार (मुनि दीक्षा) लेकर संल्लेखना विधि से समाधि ली। सेवादल कार्यकर्ता पंकज मोदी व प्रबंधक इंद्रजीत मंडलोई ने बताया बाबा सुबह 7.30 बजे भगवान आदिनाथ के दर्शन व साधना की। इसके बाद बाबाजी ने घबराहट की शिकायत कर गुरुजी (प्रमाण सागरजी) के पास ले चलने का अनुरोध किया। वे बोले थे कि मेरे पास अब समय कम बचा है। मैं गुरुजी से दीक्षा लेना चाहता हूं। इसके बाद उन्हें गुरुजी के पास ले जाया गया। मुनि प्रमाण सागरजी ने परिग्रह का त्याग कराया। कपड़ों का त्याग कराने के साथ महाव्रत संस्कार दिया। साथ ही उन्हें दिगंबर वेश प्रदान किया।
सुबह 7.45 बजे उनका महाव्रत संस्कार हुआ। इस दौरान वे पूरी तरह से होश में थे। साथ ही णमोकार मंत्र का जाप कर रहे थे। संस्कार के 10 मिनट बाद उन्होंने समाधि ली। संस्कार देने के बाद मुनिश्री प्रमाण सागरजी ने उन्हें संबोधित किया। मुनिश्री ने कहा कि तुम्हारा सौभाग्य है कि सिद्ध भूमि पर गुरु चरणों के सान्निध्य में देह त्याग रहे हो। अष्टानिका महापर्व का प्रसंग है। चतुर्दशी का दिन है। यह दुर्लभ संयोग है। देह नश्वर है। अनादि से हम भटक रहे हैं। अंतर मन होकर बाहरी चीजों का त्याग करें। बुधवार सुबह ही उन्होंने संल्लेखना विधि के तहत चारों प्रकार के आहार, पानी का त्याग कर दिया था। दोपहर 12 बजे संत निवास से अंतिम यात्रा निकाली गई। भगवान आदिनाथ की प्रतिमा स्थल से पहले उनका अंतिम संस्कार किया गया।  गोड़ायतन तीर्थक्षेत्र के अध्यक्ष विनाेद काला, अरविंद राजा ने मुखाग्नि दी। प्रमाण सागर सेवा संघ मालथौन, ललितपुर सहित अन्य स्थानों के श्रावकोें व विद्वानाें ने अंतिम संस्कार में सहयोग दिया।
28 साल पहले छोड़ा था परिवार, समाधि लेने से पहले हुआ णमोकार मंत्र का जाप
बाबाजी ने 28 साल पहले परिवार का त्याग किया था। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज  के संघ में इकलौते गृहस्थ साधक थे। पत्नी राजकुमारी देवी रांची में रहती है। उनके दो बेटे व तीन बेटियां हैं। वे अंग्रेजी, हिन्दी व बांग्ला भाषा में विद्वान थे। उन्होंने आचार्य विद्यासागरजी की किताब मुक माटी का बांग्ला भाषा में अनुवाद किया था।
35 साल पहले दो महाराज ने ली थी समाधि
बावनगजा ट्रस्ट के प्रबंधक मंडलोई ने बताया 35 साल पहले आचार्य शांतिसागरजी महाराज की परंपरा के दो महाराज बावनगजा में समाधिस्थ हुए थे। उन्होंने बताया चंद्रसागरजी महाराज व शीतल सागरजी महाराज ने समाधि ली थी।
      संकलित अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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