दिगंबर भेष वह भेष है जो जन्म का होता है, इसका कोई ड्रेस व एड्रेस नहीं होता: आचार्य निर्भय सागर जी




राहतगढ़-बुधवार को आचार्यश्री निर्भय सागर जी महाराज के साथ नगर के गौरव मुनिश्री हेमदत्त सागर जी महाराज, मुनिश्री शिवदत्त सागर जी महाराज  का ससंघ नगर आगमन हुआ। नगर एवं समाज के लोगों ने भोपाल तिराहे पर जाकर आचार्य एवं मुनिश्री की ससंघ अगवानी की। आचार्यश्री निर्भयसागर जी  महाराज के साथ प्रथम बार आए नगर के गौरव मुनिश्री हेमदत्त सागर जी महाराज  के नगर आगमन पर गाजे बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा नगर के मुख्य मार्गों से निकाली गई।
वहीं गंज के जैन मंदिर में धर्म सभा आयोजित की गई। आचार्यश्री निर्भय सागर जी  महाराज ने कहा कि दिगंबर भेष वह भेष है, जो जन्म का होता है और दिगंबर में कोई ड्रेस व एड्रेस नहीं होता। उन्होंने कहा तुम्हारा जन्म भगवान बनने को हुआ। जीवों को मारना छोड़ो यह उपदेश सिंह ने सुना व हिंसा छोड़ दी। उन्होंने कहा कि हम भी राग छोड़कर वीतरागी बन सकते हैं। हमारे भीतर भी शक्ति है, उस शक्ति को प्रभु भक्ति में लगाएं। वहीं राहतगढ़ के गौरव मुनिश्री हेमदत्त सागर जी महाराज  ने कहा कि हमारे मुनि बनने से नगर एवं समाज के साथ परिवार का गौरव बढ़ा अच्छी बात है। क्योंकि अच्छे कार्यों से गौरव बढ़ता है और बुरे कार्यों से सम्मान घटता है। गुरु ने हमारे ऊपर बहुत उपकार किया है, क्योंकि गुरु पथ प्रदर्शक होते हैं। वही हमें पाप से छुड़ाकर परमात्मा बनाते हैं। आप हमें देख कर खुश मत हो बल्कि हमारे जैसे बन कर आत्म कल्याण करो, जीवन को सार्थक करो। गौरतलब हो राहतगढ़ के नरेंद्र कुमार जैन ने वर्षों से आचार्य श्री निर्भयसागर जी  महाराज के संघ में साधनारत होने के बाद मुनि दीक्षा प्राप्त कर नरेंद्र से हेमदत्त सागर बन गए। नगर के लिए यह सौभाग्य की बात है कि राहतगढ़ से कोई जैन धर्म का संत बना। इस मौके पर सकल दिगंबर जैन समाज, महिला मंडल, युवा मंडल, पाठशाला परिवार एवं नगर के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
        संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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