सागर-मकरोनिया अंकुर कॉलोनी स्थित पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर मे विराजमान मुनिश्री उपशांत सागर जी महाराज ने बुधवार काे धर्म सभा में प्रवचन दिए। उन्हाेंने कहा कि संत वह मास्टर चाबी है जो जीवन के हर ताले को खोल देती है। संत वह नहीं होता जो समुदाय में रहता है, संत वह होता है जो अपने में रहता है। संत का मन शांत होता है, वह भीड़ में भी अकेला जीता है। उन्हाेंने बताया कि आचार्यश्री शांति सागर जी महाराज एक प्रमुख ऐसे संत हुए हैं जिनकी अगाध विद्वता ,कठोर तपश्चर्या, प्रगाढ़ धर्म श्रद्धा, आदर्श चरित्र एवं अनुपम त्याग ने जैन धर्म की यथार्थ ज्योति प्रज्ज्वलित की है। आज दिगंबर जैन परंपरा के प्रथम आचार्य शांति सागर जी महाराज (दक्षिण) का 100वां मुनि दीक्षा दिवस मनाया गया। यह निर्गत परंपरा आपकी ही कृपा से अनवरत रुप से चल रही है। उनका जन्म दक्षिण भारत के बेलगांव जिला के चिककोड़ी तहसील के भोज ग्राम के समीप येल गुल कर्नाटक में हुअा था। उन्हाेंने फाल्गुन शुक्ला चतुर्दशी को देवेंद्र कीर्ति मुनिराज से मुनि दीक्षा ली थी। समडोली ग्राम में उन्हें आचार्य पद मिला था। उन्हाेंने दीक्षा के बाद 9938 उपवास किए थे। 18 सितंबर 1955 काे संल्लेखना पूर्वक समाधिमरण करके शिवपुरवासी हुए।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी