विदिशा- समाज सुधार के लिए गुरु का महत्व: समता सागर
मुनि श्री समतासागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि जैसे मिट्टी के भविष्य के लिए कुम्हार का महत्व है, ठीक वैसे ही समाज के भविष्य के लिए गुरु का महत्व है। उन्होंने कहा कि एक कुम्हार मिट्टी से चिलम भी बना देता है और उसी मिट्टी से कुम्हार कुंभ रूप भी प्रदान करता है। इस अवसर पर मुनि श्री कुंथु सागर जी महाराज ने कहा कि विदिशा नगर में मेरा चातुर्मास हो चुका है। आप सभी हमसे परिचित ही हैं। अपनी दीक्षा को याद करते हुए मुनिश्री ने कहा कि उस दीक्षा का संचालन तो मुनि श्री समतासागर जी महाराज ने ही किया था और अब पुनः एक अवसर उनसे मिलने का आया है।
घरों के बाहर श्रद्धा के थाल सजाकर की मंगल आरती
श्रद्धालुओं ने मुनिश्री की ऐतिहासिक अगवानी तो कई बार की है, लेकिन कोरोना काल में सोशल डिस्टेंस के साथ 20 साल बाद मुनिश्री आए तो विदिशा के श्रद्धालु भले ही मुनि श्री की चरण वंदना और पाद प्रक्षालन का सौभाग्य भले न ले पाए हों लेकिन अपने- अपने घरों के सामने श्रद्धा का थाल सजाए मंगल आरती कर अपने आपको सौभाग्यशाली जरूर मान रहे थे।
ऐसे किया विहार
मुनिसंघ करीब 4 किमी शहरी क्षेत्र में विहार करते हुए गुलाब वाटिका, डंडापुरा, बड़ा बाजार, तिलकचौक, निकासा होते हुए माधवगंज स्थित श्री शांतिनाथ जिनालय स्टेशन जैन मंदिर पहुंचा। यहां पर मुनिश्री का साल 1992 में चातुर्मास के साथ 9 माह तक लगातार प्रवास रहा था।
मुनि श्री समता सागर जी महाराज , ऐलक श्री निश्चय सागर जी महाराज का मंगल प्रवेश शनिवार को सुबह ईदगाह चौराहे से प्रशासनिक व्यवस्था के साथ हुआ। इसमें पहली बार बिना माइक और बिना गाजेबाजे के सोशल डिस्टेंस के साथ पुलिस के घेरे में पुलिस एनाउंसमेंट के साथ उनकी अगवानी श्रद्धालुओं ने पलक पांवड़े बिछाकर की।
समता सागर जी महाराज का यहां 28 साल पहले स्टेशन जैन मंदिर में चातुर्मास हो चुका है। वे अपने संघ के साथ करीब 200 किमी दूर खातेगांव से विहार करते हुए विदिशा आये ।
संकलन अभिषेक जैन लूहाडीया रामगंजमंडी